नमस्कार दोस्तो, आज की हमारी इस पोस्ट में हम EPF Employees Provident Fund के बारे में जानेगे। ईपीएफ़ के बारे में प्राइवेट सैक्टर मे नौकरी करने वाले हर कर्मचारी को पता होना जरूरी है, इसलिए हमने ये पोस्ट बनाई है, जिससे EPF के बारे मे आसानी से समझा जा सके।

EPF Employees Provident Fund होता क्या है?
EPF Employees Provident Fund भारत में भारत सरकार द्वारा चलाया जाता है। ईपीएफ़ में पैसे उसी तरह जमा होता है जैसे हम किसी सेविंग स्कीम मे हर महीने पैसे जमा करते हैं। भारत सरकार का कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) इसको चलता है। ईपीएफ़ की इस सेविंग स्कीम में हर महीने कर्मचारी (Employee) जो प्राइवेट सैक्टर मे काम करते हैं उनकी सैलरी से कुछ पैसा (12%) काट कर और उतना ही पैसा (12%) कंपनी/ नियोक्ता (Employer) के द्वारा कर्मचारी के EPF अकाउंट में डिपॉज़िट किया जाता है। नियोक्ता या कंपनी के द्वारा कर्मचारी के PF अकाउंट मे डिपॉज़िट की गई राशि उस कर्मचारी के लिए सेविंग होती है, जिसको भविष्य में उपयोग किया जा सकता है। EPF की इस राशि को कर्मचारी रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने के बाद अपने EPF अकाउंट से निकाल सकता है।
EPF का मुख्य उदेश्य क्या है?

जैसे सरकारी नौकरी करने वालों को रिटायरमेंट के बाद एक बड़ी राशि और पेंशन मिलती है, इसी तरह इस EPF स्कीम का मुख्य उदेश्य भी यही है कि प्राइवेट सैक्टर में काम करने वाले लोगों को रिटायरमेंट या किसी कारणबस उनकी नौकरी छूटने पर एक बड़ी राशि और पेंशन मिल सके। एक साथ बड़ी राशि मिलने से कर्मचारी अपने भविष्य कि जरूरतों को पूरा कर सकता है।
EPF स्कीम मे कौन-कौन आता है?
EPF Employees Provident Fund को EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) के द्वारा चलाया जाता है। EPFO भारत सरकार के आधीन आता है। EPF स्कीम सभी प्रकार के प्राइवेट संगठनो पर लागू नहीं होती है। इस स्कीम का हिस्सा बनने के लिए EPFO द्वारा कुछ नियम और शर्तें रखी गई हैं। ये शर्तें निमंलिखित हैं:
- ईपीएफ़ स्कीम मे नियोक्ता EPFO से रजिस्ट्रेशन लेता है और इस रजिस्ट्रेशन के अंडर नियोक्ता अपने कर्मचारीयों का ईपीएफ़ जमा करता है। कर्मचारी को ईपीएफ़ स्कीम का बेनिफ़िट तभी मिल सकता है जब उसको कंपनी या नियोक्ता ईपीएफ़ मे रैजिस्टर्ड हो। कर्मचारी अपनी मर्ज़ी या अपनी साइड से ईपीएफ़ स्कीम का कोई बेनिफ़िट नहीं ले सकता है।
- प्राइवेट सैक्टर मे आने वाली वो कंपनियाँ या नियोक्ता जिनमें 20 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हों, उनको EPF में रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है।
- अगर कोई कंपनी EPF रजिस्ट्रेशन लेना चाहती है लेकिन उसके कर्मचारी 20 से कम हैं, तो ऐसी कंपनी स्वेच्छा से EPF मे रजिस्ट्रेशन ले सकती है।
- EPFO के नियम कि हिसाब से इस समय ₹15,000 या उससे कम सैलरी वाले कर्मचारीयों का EPF जमा करवाना अनिवार्य है। ये ₹15000 कि लिमिट 2014 से चल रही है, इससे पहले ये लिमिट ₹6500 होती थी।
EPF में कितना पैसा काटा और जमा किया जाता है?
EPF Employees Provident Fund के बारे मे लोगों का अक्सर ये सवाल भी होता है कि इस स्कीम मे कर्मचारी का कितना पैसा काटा जाता है ओर कितना डिपॉज़िट किया जाता है। हम इसको सीधे शब्दों में यही कहते हैं की जितना पैसा कर्मचारी का काटा जाता है उतना ही नियोक्ता द्वारा जमा किया जाता है। आइये हम इसको पर्सेंटेज के हिसाब से समझते हैं:
- कर्मचारी या ईपीएफ़ मेम्बर की सैलरी का 12% हिस्सा EPF में नियोक्ता द्वारा काटा जाता है और फिर इतना ही पैसा कंपनी या नियोक्ता कर्मचारी के ईपीएफ़ अकाउंट में जमा करता है।
- इसके साथ नियोक्ता को कर्मचारी की सैलरी 1% और जमा करना पड़ता है, जिसमे 0.50% कर्मचारी की EDLI Insurance का शेयर होता है और 0.50% EPFO के Admn Charges होते हैं। EDLI Insurance में जमा किए गए योगदान से कर्मचारी के ऊपर निर्भर करने वाले परिवार के मेम्बर्स को अधिकतम 7 लाख रुपये तक की मदद मिलती है। EDLI में मिलने वाली आर्थिक मदद इसमें हुए योगदान पर निर्भर करती है।

- ईपीएफ़ को आगे फिर से दो हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें एक हिस्सा कर्मचारी का EPF है ओर दूसरा Pension Fund है। कर्मचारी की सैलरी से काटा गया 12% सीधा उसके EPF मे जाता है और जो 12% नियोक्ता योगदान करता है उसमें से 3.67% कर्मचारी के EPF में और 8.33% Pension Fund में जाता है।
- हर महीने EPF में जमा होने वाला पैसा टोटल 15.67% कर्मचारी के लिए रिटायरमेंट तक या फिर नौकरी छोड़ने तक एक बड़ी राशि बन जाता है और वहीं Pension Fund में जाने वाला पैसा जो की 8.33% उससे कर्मचारी को पेंशन का फायदा मिल जाता है।
कर्मचारी को EPF से क्या-क्या फायदे मिलते हैं।
- हर महीने थोड़ा-थोड़ा EPF डिपॉज़िट होने से एक लंबे टाइम बाद या फिर रिटायरमेंट तक ये पैसा बड़ी राशि में बदल जाती है, जिसको कर्मचारी अपने भविष्य में Use कर सकता है।
- EPF एक प्रकार की सरकारी सेविंग स्कीम है और सेविंग स्कीम होने के कारण EPF मे जमा होने वाले पैसे पर टैक्स से छूट भी मिलती है।
- ईपीएफ़ मे जमा हुए पैसे पर दूसरी स्कीम या फिर बैंक मे जमा किए गए पैसों पर मिलने वाले ब्याज से ज्यादा ब्याज की दर मिलती है, जैसे की 2024-25 में 8.25% थी।
- अगर किसी को Emergency में पैसों की जरूरत हो जैसे की बीमारी के लिए, शादी के लिए, मकान आदि बनाने के लिए तो वो अपने EPF से एडवांस भी ले सकता है। एडवांस सिर्फ उसको उसके EPF अकाउंट से ही मिलता है, पेंशन फ़ंड से एडवांस नहीं मिलता।
- EPF का पैसा दो हिस्सों में जमा किया जाता है, एक EPF शेयर ओर दूसरा Pension शेयर। रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को पेंशन फ़ंड में जमा हुए पैसे से पेंशन लग जाती है और जब कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद कमाने लाइक नहीं रहता तो तो वो इस पेंशन स्कीम (EPS) का लाभ ले सकता है।
- EPF के मेम्बर कर्मचारी को EDLI Insurance का लाभ भी मिलता है जो की एक Accidental Insurance होती है। किसी दुर्घटना में कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में EDLI Insurance से कर्मचारी के ऊपर निर्भर परिवार के सदस्यों को 7 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद मिलती है। EDLI से मिलने वाली आर्थिक मदद कर्मचारी की EDLI मे हुए योगदान पर निर्भर करती है।
EPF Employees Provident Fund अकाउंट का बैलेन्स चेक करने के तरीके?

- UMANG App से ईपीएफ़ मेम्बर अपना पीएफ़ बैलेन्स चेक कर सकता हैं।
- https://www.epfindia.gov.in पोर्टल पर भी ईपीएफ़ का बैलेन्स चेक किया जा सकता है।
- मोबाइल SMS के माध्यम से भी ईपीएफ़ का बैलेन्स चेक किया जा सकता है इसके लिए EPFO ने 7738299899 नंबर जारी किया हुआ है।
- अपने यूएएन के साथ रैजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से Missed Call करने से भी ईपीएफ़ का बैलेन्स चेक किया जा सकता है, इसके लिए EPFO ने 9966044425 नंबर जारी किया हुआ है।
Conclusion
इस पोस्ट मे हमने ईपीएफ़ के बारे में जाना है जिससे ये तो क्लियर है की EPF प्राइवेट सैक्टर मे काम करने वालों के लिए बहुत ही उपयोगी स्कीम है। इस स्कीम से प्राइवेट सैक्टर में काम करने वाले हर कर्मचारी को सुरक्षित भविष्य देती है। हमने इस पोस्ट में ईपीएफ़ के बारे में डीटेल में बताने की कोशिश की है । अगली पोस्ट मे हम ईपीएफ़ के बारे में और जानकारी लेकर आएंगे।
धन्यावाद।
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