आज की इस पोस्ट Kya Hai ESI Yojana? हिंदी में समझें ESI योजना और इससे मिलने वाले beneifts में हम भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली ESI योजना के बारे में और इससे मिलने वाले बेनिफिट्स को जानेगे। Employees’ State Insurance Scheme प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को Medical और Financial कई तरह की सुरक्षा देती है। कई प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों को ये तो पता होता है की ESI में उनका कंट्रीब्यूशन जा रहा है लेकिन ये पता नहीं होता की Kya Hai ESI Yojana और इससे क्या क्या लाभ मिलते हैं। अगर आपका भी ESI कटता और जमा होता है तो ये पोस्ट आपके सही है, इससे आपको ये समझने में मदद मिलेगी की ESI क्या है और इसके बेनिफिट्स क्या हैं।

Kya Hai ESI Yojana? – Introduction
अगर आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं या फिर खुद एक Employer हैं, तो ESI से मिलने वाले फैसिलिटीज के बारे में जानना ज़रूरी है। ESI जिसकी फुल फॉर्म Employees’ State Insurance की शुरुआत 1952 में हुई थी। ESI योजना एक बीमा योजना है जो सामाजिक सुरक्षा के साथ स्वास्थ्य बीमा की सुविधा देती है। इसका संचालन Employees’ State Insurance Corporation करती है, जिसको भारत सरकार चलाती है। इस योजना में प्राइवेट सेक्टर और फैक्ट्रीज इत्यादि में काम करने वाले लोगों को On Duty होने वाली किसी भी प्रकार की बीमारी के इलाज दुर्घटना या विकलांगता की स्थिति में इलाज और मृत्यु होने की स्थिति में परिवार के सदस्यों को पेंशन देने तक की सहायता प्रदान करती है। अगर आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं या फिर खुद एक Employer हैं, तो ESI से मिलने वाले फैसिलिटीज के बारे में जानना ज़रूरी है।
ESI के लाभ लेने के लिए क्या पात्रता होनी चाहिए?
ESI में एनरोलमेंट के लिए ESIC से दोनों कर्मचारी और एम्प्लॉयर के लिए कुछ शर्तें रखी हैं, अगर कर्मचारी और एम्प्लॉयर इन शर्तों को पूरा करते हैं तो ही इस ESI में एनरोल हो सकते हैं। नीचे इसकी एमरॉलमेंट की शर्तें दी गयी हैं:
- एम्प्लॉयर को इसमें एनरोल होने के लिए उस एम्प्लॉयर की कंपनी, फैक्ट्री, आर्गेनाईजेशन में कम से कम 10 वर्कर (कुछ राज्यों के लिए कम से कम 20) होने चाहिए। अगर एम्प्लॉयर इस कंडीशन को पूरा करता है तो वो ESIC से अपनी रजिस्ट्रेशन ले सकता है। रजिस्ट्रेशन के बाद ESIC उसको एक कोड जारी करती है जिसमें एम्प्लॉयर ESI की कंट्रीब्यूशन डिपाजिट करता है।
- किस भी वर्कर को इसमें एनरोल होने लिए उसकी मंथली सैलरी 21,000 रूपए से काम होनी चाहिए और किसी भी विकलांग वर्कर के लिए उसकी सैलरी कम से कम 25,000 रूपए से से कम होनी चाहिए। वर्कर जिनकी मंथली सैलरी इससे कम है और उसका एम्प्लॉयर ESIC में रजिस्टर्ड है तो वो अपने इन वर्कर को ESI में रजिस्टर्ड करेगा। रजिस्ट्रेशन के बाद वर्कर को एक IP नंबर इशू किया जाता है। वर्कर की मंथली कंट्रीब्यूशन का सारा रिकॉर्ड इसी IP नंबर में रखा जाता है। वर्कर को ESI से मिलने वाले सारे लाभ इसकी IP नंबर की कंट्रीब्यूशन के बेसिस पर मिलते हैं।
ESI कंट्रीब्यूशन रेट्स।
ESI में वर्कर की जमा होने वाली कंट्रीब्यूशन ESIC के द्वारा फिक्स की जाती है। इस टाइम ESI की टोटल कंट्रीब्यूशन वर्कर की सैलरी का 4% है। इस 4% में वर्कर की सैलरी से 0.75% डिडक्ट किया जाता है और वहीं एम्प्लॉयर द्वारा 3.25% जमा किया जाता है। मान लो अगर किसी भी वर्कर की सैलरी इस टाइम 15000 रूपए है तो उसकी सैलरी से 112.50 रूपए ESI काटा जायेगा और 487.50 रूपए दोनों मिलाकर टोटल 600 रूपए उसके एम्प्लॉयर द्वारा उसकी IP नंबर पर जमा किये जायेंगे। ESI की कंट्रीब्यूशन सिर्फ ESIC के साथ रजिस्टर्ड एम्प्लॉयर की जमा कर सकता है। वर्कर खुद अपनी ऐसी जमा नहीं कर सकता।

ESI से मिलने वाले लाभ/ benefits.
अभी तक हमने ESI, ESI के पात्रता और कंट्रीब्यूशन रेट्स के बारे में जाना है। अब जानते हैं की जिन वर्कर्स की ESI में ESIC द्वारा फिक्स की गयी कंट्रीब्यूशन रेगुलर जमा होती है उनकों क्या क्या बेनिफिट्स मिलते हैं।
- Medical Benefits: जिन वर्कर्स की ESI रेगुलर जमा होती है उनको और उनके परिवार के सदस्यों को ESI की तरफ से फ्री Medical Facility दी जाती है। इन Medical Benefits में चाहे उनकी बीमारी सामान्य हो या फिर गंभीर बीमारी हो, सब के लिए Medical Benefits दिए जाते हैं। इलाज के लिए वर्कर्स और उनके परिवार के सदस्य ESI के डिस्पैंसरी और हॉस्पिटल में इलाज करवा सकते हैं या फिर कुछ बहार के हॉस्पिटल में भी इलाज करवा सकते हैं। ESI का कुछ हॉस्पिटलों के साथ टाईअप भी होता है।
- Cash Benefits: कई केसेस में वर्कर्स को बीमारी की स्थिति में नकद सहायता भी दी जाती है। ये नकद सहायता लगभग सैलरी का 70% और 91 दिनों तक दी जाती है।
- Maternity Benefits: महिला वर्कर्स को गर्भावस्था में 26 सप्ताह तक ये लाभ मिलता है। इस 26 सप्ताह के समय में महिला वर्कर्स को उसकी सैलरी ESIC के द्वारा दी जाती है।
- Accident and Disability Benefits: अगर किसी वर्कर के साथ On Duty कोई दुर्घटना हो जाती है तो ESIC की तरह से उसको इलाज में मदद की जाती है और अगर दुर्घटना बड़ी है और वर्कर को कोई Disability हो जाती है तब भी ESIC की तरफ से उसे नकद या फिर पेंशन के रूप में मदद दी जाती है।
- Benefits After Death: जैसे वर्कर को Accident या Disability की स्थिति में सहायता दी जाती है वैसे ही अगर किसी वर्कर की On Duty दुर्घटना से मृत्यु हो जाये तो उसके परिवार सदस्य जो उसके ऊपर निर्भर थे उनको मासिक पेंशन ESIC द्वारा दी जाती है। ESIC की पेंशन वर्कर की मंथली सैलरी की 90% तक हो सकती है लेकिन ये सब उसके नौरकरी और कंट्रीब्यूशन की हिस्ट्री पर निर्भर करता है।
- Medicines and Testing Facilities: जो वर्कर्स ESI में एनरोल होते हैं उनको ESI डिस्पैंसरी और हॉस्पिटल में लगभग सभी तरह की जाँच, दवाइयाँ के साथ अन्य स्वास्थ्य सुविधाएँ फ्री दी जाती हैं।
FAQs
Q. No. 1. क्या सभी कर्मचारियों के लिए ईएसआई जरूरी है?
Ans: ESI सिर्फ उन कर्मचारिओं के लिए जरुरी है जिनकी सैलरी 21000 रूपए से कम हो और उसका एम्प्लॉयर ESI में रजिस्टर्ड हो।
Q. No. 2. ईएसआई अस्पताल में कौन-कौन इलाज करवा सकता है?
Ans: ESI में एनरोल कर्मचारी के परिवार के सदस्य जो उसके ऊपर निर्भर होते हैं उनको इलाज करवाने की सुविधा दी जाती है।
Q. No. 3. क्या नौकरी बदलने के बाद नया ESI नंबर मिलता है?
Ans: नौकरी बदलने की स्थिति में वर्कर का पुराना ESI नंबर ही चल जाता है और ये नंबर उसके लिए लाइफटाइम के रहता है।
Conclusion
आज की इस पोस्ट Kya Hai ESI Yojana में हमने ESI के बारे में काफी विस्तार से चर्चा की है, जिसमें हमने जाना की ESI क्या है, इसके कौन से वर्कर्स और एम्प्लॉयर योग्य होते हैं, ESI के कंट्रीब्यूशन के रेट्स क्या हैं और इससे हमें क्या क्या लाभ मिलते हैं। आशा है ESI के ऊपर बनाई ये पोस्ट अच्छी लगी होगी। हमने अपनी पिछली पोस्ट्स जिनके लिंक्स नीचे दिए हैं उनमे EPF के बारे में बताया था, इनको भी एक बार जरूर पढ़ें।
धन्यवाद।
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